कह दो भला मुझसे क्यों इतने मौन हो तुम
सुकूं दे दो ये बताकर कि मेरे कौन हो तुम
लिखाते रहते हो मुझसे हमेशा बात अपनी ही
फिर क्यों माँग लेते हो कलम क्या द्रोण हो तुम?
दूर हो मगर ख़याल तो है मेरे डीएनए का
दहकता सूरज है ज़माना और ओज़ोन हो तुम
चक्रव्यूह सी दुनिया है, भँवर के बीच अभिजित
सरल रेखा सा मेरा जीवन जिसका कोण हो तुम
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