अपनी राखी

जिस दिन मिलेंगे हम उस दिन होगी अपनी राखी
सब पर्व एक हो जाएँगे विशु, नववर्ष औ बैसाखी
बस यही नहीं पता कि दिन और हैं कितने बाक़ी

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