बाहर का झूठ निभाना अगर मजबूरी है
अंतर के सच को ज़िंदा रखना भी ज़रूरी है
ना मिले या मिलते रहें यूँ ही हम यदा-कदा
तुम मेरे सच का हिस्सा हो और रहोगे सदा
कंकरीट में ढले और शीशे से सजे सब रिश्ते
मोल जिनका करे मांग-आपूर्ति की किश्तें
इनसे हटके है बहुत अपने सम्बंध की अदा
तुम मेरे सच का हिस्सा हो और रहोगे सदा
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