घड़ी उतार दी थी एक बार
फिर कभी पहनी भी नहीं
सूनी हो गई थी कलाई
बात समय की नहीं रिश्तों की थी
आज भी सूनी ही है कलाई
हाँ उम्मीद ज़रूर है
कि बात रिश्ते की नहीं बस समय की है
घड़ी उतार दी थी एक बार
फिर कभी पहनी भी नहीं
सूनी हो गई थी कलाई
बात समय की नहीं रिश्तों की थी
आज भी सूनी ही है कलाई
हाँ उम्मीद ज़रूर है
कि बात रिश्ते की नहीं बस समय की है
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