Abhijit - August 15, 2019 - No comments
घड़ी उतार दी थी एक बार फिर कभी पहनी भी नहीं सूनी हो गई थी कलाई बात समय की नहीं रिश्तों की थी आज भी सूनी ही है कलाई हाँ उम्मीद ज़रूर है कि बात रिश्ते की नहीं बस समय की है
Abhijit - August 5, 2019 - No comments
तू याद तो आता है तमाम उलझनों के बीच मोती सा बसा है दिल की धड़कनों के बीच