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सपने के झरोखे से

बुलाया था कहाँ मैंने
मगर हो गया सामना
हज़ारों दस और जुड़े
बस इतनी सी कामना

मोती

तू याद तो आता है तमाम उलझनों के बीच
मोती सा बसा है दिल की धड़कनों के बीच